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हर सिक्के के दो पहलू होते हैं लेकिन हम उस सिक्के के आधार पर तो कोई निर्णय नहीं ले सकते हैं क्रिकेट मैच को छोड़कर | कहने का अर्थ यह है कि बेशक हिंदी ब्लॉगिंग, हिंदी को मान दिलाने में सार्थक सिद्ध हो सकती है | लेकिन गुंजाइश यह भी हो सकती है कि कही यह बाज़ार का हिस्सा न बने | ये दोनों ही बाते एक सिक्के के दो पहलू के समान है जिस प्रकार एक बच्चा सिर्फ अ आ क ख सीखने से ही सारी डिग्री हासिल नहीं कर सकता बल्कि उसे आगे बढने के लिए एक एक कर कदम बढाने पड़ते हैं तभी वह अपने लक्ष को हासिल करने योग्य बनता है | उसी प्रकार हम सिर्फ हिंदी ब्लॉगिंग के माध्यम से हिंदी को मान दिलाने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं लेकिन सिर्फ एक कदम चलकर हम कैसे मंजिल तक पहुचेंगे | हमारा देश विभिन्न धर्मो ,जातियों, परम्पराओ, और अलग अलग भाषाओ से जुड़ा है | हमारे देश के हर कोने में अलग अलग भाषा बोली जाती है हर जगह हिंदी का प्रयोग नहीं होता है जब तक हिंदी को पूरे देश में सर्वसम्मति से नहीं अपनाया जायेगा तब तक हिंदी को मान दिलाना थोड़ा मुश्किल जरुर होगा लेकिन नामुमकिन नहीं इसलिए क्योकि प्रयास हो रहे हैं और लोग सहयोग भी कर रहे हैं इसका उदहारण है हिंदी ब्लॉगिंग | बहुत लोगो के जहन में है कि हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है, लेकिन भारत में किसी भी भाषा को राष्ट्र भाषा का दर्ज़ा नहीं दिया गया है | हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया है, राष्ट्र भाषा वह भाषा होती है जो पूरे देश को जोड़ती है देश के लोगो को जोडती है | हमारे देश में अलग अलग भाषाए बोली जाती है लेकिन फिर भी हिंदी ऐसी भाषा है जो हर कोई समझता है , और ये एक अच्छा संकेत भी है क्योकि लोग जब हिंदी को अपनायेंगे तभी हिंदी को मान मिलेगा | और अचम्भे की बात यह है कि जो इस देश को चला रही है वो खुद हिंदी के प्रति जागरूक नहीं है बल्कि सरकार का काम भी जनता ही कर रही है और ये ख़ुशी की बात है , इतनी सारी कठिनाइयाँ आने के बाद भी हिंदी को प्रोत्साहन मिल रहा है इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कितने लोग हिंदी ब्लॉगिंग से जुड़े हैं | और हम अपना प्रयास कभी नहीं छोड़ेंगे |
जब मिलेंगे ताल से ताल
जब उठेंगे मिलकर हाथ
आएगी पूरे देश की आवाज
हिंदी हैं हम वतन हैं
हिन्दोसिता हमारा
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिता हमारा
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